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चलो चलें, हो लें! धनखरियों के देश
धान-परियों के देश।
आगे-आगे पछुवा
पीछे पुरवाई
बादल दो बहनों के
बीच एक भाई
बरखा के बन तड़ित-मछरियों के देश
जल-लहरियों के देश।।
घिर आया धरती का
रंग आसमानी
गेंहुवन-सा ठनक रहा
सरिता का पानी
पानी पर लोटती गगरियों के देश
जल गगरियों के देश।।
धूप-पथ डाल गया
दिन का हरकारा
यह अकाल इंद्रधनुष
आगमन तुम्हारा
आम के बहाने मंजरियों के देश
गिलहरियों के देश।।
चलो चलें, हो लें! धनखरियों के देश
धान-परियों के देश।
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